सीवीओ किसी संगठन के सतर्कता प्रभाग का प्रमुख होता है और वह सतर्कता से संबंधित सभी मामलों में मुख्य कार्यकारी के सलाहकार के रूप में कार्य करता है। वह सीवीसी और सीबीआई के साथ बातचीत के लिए संगठन का नोडल अधिकारी भी है। सीवीओ द्वारा किए जाने वाले सतर्कता कार्य व्यापक हैं और इसमें उसके संगठन के कर्मचारियों द्वारा किए गए या किए जाने वाले भ्रष्ट आचरणों के बारे में सूचना एकत्रित करना; उसे बताए गए आरोपों की जांच करना या कराना; संबंधित अनुशासनात्मक प्राधिकारी को आगे विचार करने के लिए जांच रिपोर्ट भेजना; जहां भी आवश्यक हो सलाह के लिए मामलों को आयोग के पास भेजना; अनुचित प्रथाओं और कदाचार आदि को रोकने के लिए कदम उठाना आदि, शामिल हैं। इस प्रकार, सीवीओ के कार्यों को मुख्यो तौर पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जो निम्नानुसार हैं:
(i) निवारक सतर्कता
(ii) दंडात्मक सतर्कता
(iii) निगरानी और पहचान
जबकि कदाचार और अन्य दुराचार करने के लिए 'दंडात्मक कार्रवाई' निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, सीवीओ द्वारा की जाने वाली 'निगरानी' और 'निवारक उपाय' तुलनात्मक रूप से अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनसे सतर्कता मामलों की घटनाओं में कमी आने की संभावना है। इस प्रकार, सीवीओ की भूमिका मुख्य रूप से निवारक की होनी चाहिए।