• Skip to Main Content
  • A- A A +

पी एम उदय स्कीम

दिल्ली, भारत की राजधानी, व्यापार, वाणिज्य और छोटे उद्योगों के साथ-साथ भारत की कला और संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र है। दिल्ली के सुनियोजित विकास का एक विशेष महत्व है और वह प्रारंभ से ही सरकार का ध्यान आकर्षित करता रहा है।

दिल्ली के नियोजित विकास के लिए मुख्य योजना 1962 (एमपीडी-62) में प्रख्यापित किया गया था। इस मुख्य योजना में 1981 तक की अवधि शामिल थी। वर्तमान में, 2041 तक की अवधि के लिए मुख्य योजना (एमपीडी-2041) में संशोधन सक्रिय रूप से विचाराधीन है । पहले की मुख्यु योजनाओं में दिल्लीड के नियोजित विकास से संबंधित कई अनुमान (प्रोजेक्शुन) केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या में बहुत ज्यामदा वृद्धि के कारण, प्राकृतिक वृद्धि और पड़ोसी राज्यों से लोगों के प्रवास दोनों के कारण साकार नहीं हो सके।

2011 की जनगणना के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की जनसंख्या 1947 में स्वतंत्रता से पहले एक मिलियन (10 लाख) से भी कम से बढ़कर 16.7 मिलियन (167 लाख) हो गई है। दिल्ली मुख्य योजना (एमपीडी)-2021 के अनुमानों के अनुसार, 2021 में दिल्ली की जनसंख्या 22.5 मिलियन (225 लाख) अनुमानित है।

जबकि दिल्ली के नियोजित विकास की रणनीति ने जनसंख्या की बढ़ती हुई वृद्धि के बावजूद शहर के तर्कसंगत, एकीकृत और संतुलित विकास को बहुत हद तक सुनिश्चित किया है, इसने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण, अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी - झोपड़ियों में वृद्धि सहित अप्रत्याशित विकास किया है। इसके अलावा, निजी भूमि का बड़ा हिस्सा, जो आवासीय नहीं बल्कि अन्य उपयोगों जैसे कि हरित पट्टी और कृषि के लिए निर्धारित है, भी अनधिकृत कॉलोनियां बन गई हैं।

दिल्ली के लगभग 40 लाख निवासी अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे हैं। इसके अलावा, अनुमोदित भवन योजनाओं के अभाव में, ये कॉलोनियां अव्यवस्थित विकास, सार्वजनिक सुविधाओं और सामाजिक आधारिक ढांचे की कमी, असुरक्षित संरचनाओं और अस्वच्छ परिस्थितियों की अन्य अंतर्निहित समस्याओं से ग्रस्त हैं।

क्रमिक सरकारों द्वारा इन कॉलोनियों को नियमित करने के प्रयास किए गए हैं। 1961 में कुछ सफलता तब मिली जब अनधिकृत कॉलोनियों की समस्याओं के संबंध में दिल्ली प्रशासन द्वारा जारी किया गया दिनांक 19.07.1961 का एक प्रेस नोट दिल्ली नगर निगम (एम सी डी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 1962 तक 103 अनधिकृत कॉलोनियों के पहले सेट के नियमितीकरण का आधार बना। इसके बाद भारत सरकार ने दिनांक 16.02.1977 को नियमितीकरण से संबधित एक आदेश जारी किया, जिसके अंतर्गत 1979 से 1993 के बीच एमसीडी और डीडीए द्वारा 567 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया गया।

दिनांक 24.07.2000 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ, तत्कालीन शहरी विकास मंत्रालय (एमओयूडी) ने दिनांक 31.03.1993 तक मौजूदा अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए 2001 में दिशा-निर्देश तैयार किए। लेकिन इन दिशानिर्देर्शों को लागू नहीं किया जा सका। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2007 में दिशानिर्देशों को फिर से संशोधित किया गया और दिनांक 05.10.2007 को जारी किया गया।

वर्ष 2007 के इन संशोधित दिशा-निर्देशों के आधार पर, अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए विनियम, दिनांक 24.03.2008 को अधिसूचित किए गए। वर्ष 2008 के विनियमों के अनुसार, नियमितीकरण की पूरी प्रक्रिया को व्यापक प्रचार करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा समन्वित और इसका पर्यवेक्षण किया जाना था। विनियमों के अनुसार अनधिकृत कॉलोनियों की सीमा का रेखांकन, प्रक्रिया का प्रारंभिक बिंदु था। हालाँकि, रा. रा. क्षेत्र दिल्ली सरकार विनियम जारी होने के 11 वर्ष बाद भी इन कॉलोनियों का सीमांकन नहीं कर सका और इस अभ्यास को पूरा करने के लिए वर्ष 2021 तक और समय मांगा।

इन अनधिकृत कॉलोनियों में संपत्तियां, चाहे वे खाली प्लॉट हों या निर्मित स्थान, आम तौर पर सामान्यन मुख्तायरनामा (जीपीए), वसीयत, विक्रय -समझौता, भुगतान और कब्जे के दस्तावेजों के माध्यम से रखी जाती हैं। अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों के पास उचित स्वामित्व और हस्तांतरण अधिकार नहीं हैं क्योंकि ये सभी दस्तािवेज सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में पंजीकृत नहीं होते हैं। लगभग 25 वर्ष से अनधिकृत कालोनियों के निवासियों की आकांक्षाओं को सुधारने और उनकी पूर्ति के लिए कुछ नहीं हो रहा था।

यह इस पृष्ठभूमि में है कि परिवर्तनकारी पीएम-उदय योजना भारत सरकार द्वारा दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों के लिए वर्ष 2019 में तैयार की गई थी। इसका विजन अनधिकृत कॉ‍लोनियों के निवासियों को स्वा9मित्वा अधिकार देना, उनके सम्माानजनक जीवन को सुनिश्चित करना, स्वािमित्व9 का सपना पूर्ण करना, एक गुणवत्ताकपूर्ण जीवन का सपना पूर्ण करना था, जिसमें पार्क, प्ले‍ग्राऊंड और सामुदायिक सुविधाएं शामिल हों। यह एक विकास का सपना है।

दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों की स्थिति में सुधार करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से इन कॉलोनियों के निवासियों को स्वामित्व अधिकार प्रदान करने की प्रक्रिया की सिफारिश करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च 2019 में दिल्ली के माननीय उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। दिल्ली मुख्य योजना के प्रावधानों के संदर्भ में इन कॉलोनियों के किसी भी सार्थक विकास/पुनर्विकास को शुरू करने और इस तरह निवासियों के लिए बेहतर रहने योग्य आवास बनाने के लिए इस तरह के अधिकार को प्रदान करना एक पूर्व-आवश्यकता थी।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सूरज लैंप मामले (11.10.2011) में संपत्ति के हस्तांतरण के लिए वैध दस्ता्वेजों के रूप में विक्रय हेतु जीपीए, वसीयत और समझौते की अनुमति नहीं दी। अनधिकृत कॉलोनियों में अधिकांश संपत्तियों में इन दस्तावेजों को स्वामित्व दस्तावेजों के रूप में रखा गया है। समिति ने इस मामले पर कानूनी सलाह ली और सिफारिश की कि दिनांक 11.10.2011 के बाद सरकार द्वारा अधिसूचित एक निश्चित तिथि तक निष्पादित ऐसे दस्तािवेजों को मान्यता देने के लिए एक नीतिगत निर्णय लिया जाए।

समिति ने जून 2019 में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एम ओ एच यू ए) को अपनी रिपोर्ट सौंपी और समिति की सिफारिशों और आगे के परामर्श के आधार पर, 23 अक्टूबर, 2019 को आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एक प्रस्ताव रखा गया।

प्रस्ताव में अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को किसी भी अचल संपत्ति - भूमि या भवन या दोनों की विक्रय /क्रय खरीद पर लगाए गए कर देयता पर आयकर अधिनियम की धारा 56 की प्रयोज्यता से छूट प्रदान की गई। चूंकि अनधिकृत कॉलोनियों के अधिकांश निवासियों ने संपत्तियों के पंजीकरण के लिए सरकार द्वारा निर्धारित सर्किल रेट से कम पर आवास या भूमि क्रय की थीं, अत: कर देयता उचित बाजार मूल्य (एफएमवी) और वास्तविक क्रय मूल्य के अंतर पर लगाई गई थी।

कैबिनेट ने अनधिकृत कॉलोनियों (यूसी) के निवासियों को स्वामित्व या अधिकार हस्तांतरण अधिकार प्रदान करने/मान्यता देने के लिए विनियमों को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनुमोदन के बाद, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनधिकृत कॉलोनियों में निवासियों के संपत्ति अधिकारों की मान्यता) विनियम, वर्ष 2019 को दिनांक 29.10.2019 को अधिसूचित किया गया था और दिल्ली में 1,731 अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को स्वामित्व अधिकार प्रदान करने /मान्यता देने के लिए दिसंबर 2019 में अधिनियम जारी हुआ।

पीएम-उदय योजना दिल्ली में 1731 अनधिकृत कॉलोनियों (यूसी) के निवासियों को स्वामित्व या हस्तांतरण/बंधक अधिकार प्रदान करने के लिए है।

दि. वि. प्रा. के ऑनलाइन पोर्टल पर निवासियों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं और आगे की जांच केवल ऑनलाइन मोड में की जा रही है। दि. वि. प्रा. के पीएम-उदय सेल के प्रसंस्करण केंद्रों और इसके विस्तारित कार्यालयों में तैनात समर्पित कर्मचारियों द्वारा ऑनलाइन जांच की जा रही है।

आम जनता की पहुंच और सुविधा में आसानी के लिए दिल्ली भर में विभिन्न स्थानों पर कुल 10 प्रसंस्करण केंद्रों और प्रसंस्करण केंद्रों के 17 विस्तारित कार्यालयों को कार्यात्मक बनाया गया है। कालोनियों को निकटवर्ती भौगोलिक सीमाओं के अनुसार समूहीकृत किया गया है और कॉलोनियों को कॉलोनियों के निकट संबंधित प्रसंस्करण केंद्र को सौंपा गया है।

पीसी संख्या सभा
101 आदर्श नगर (04)
  शालीमार बाग (14)
  वजीरपुर (17)
  मॉडल टाउन (18)
  बुराड़ी (02)
  मुंडका (08)
102 हरि नगर
  सुल्तानपुर माजरा
  मोती नगर
  नजफगढ़ + मटियाला
   
  पालम
  द्वारका
  मटियाला
  जनकपुरी
103 महरौली (45)
  छतरपुर (46)
  बिजवासन (36)
  अम्बेडकर नगर (48)
  आर के पुरम (44)
  दिल्ली कैंट (38)
  खानपुर
104 सीमापुरी (63)
  गोकुलपुर (66)
  घोंडा (66)
  बाबरपुर (67)
  विश्वास नगर (59)
  कृष्णा नगर (60)
  गांधी नगर (61)
  शाहदरा (62)
  कोंडली (56)
  मुस्तफाबाद (69)
  लक्ष्मी नगर (58)
  करावल नगर (70)
105 रिठाला (06)
  रोहिणी (13)
  किराड़ी (09) + मुंडका (08)
  किराड़ी (09)
  नांगलोई जाट (11)
  मंगोलपुरी (12)
  जनकपुरी
  मादीपुर
  राजोरी गार्डन
  पटेल नगर
  मटियाला
  नांगलोई जाट (11) + मुंडका
106 उत्तम नगर
  विकासपुरी (31)
107 नरेला (01)
  बवाना (07) + मुंडका (08)
  बवाना (07)
  मुंडका (08)
  बादली (05)
108 ओखला (54)
  पटपड़गंज (57)
  जंगपुरा (41)
  त्रिलोकपुरी (55)
  चांदनी चौक (20)
  तिमारपुर (03)
  विश्वास नगर (59)
  करोल बाग (23)
  तुगलकाबाद (52)
  बदरपुर (53)
109 मटियाला
  नजफगढ़
110 देवली (47)
  संगम विहार (49)
  ग्रेटर कैलाश (50)
  मालवीय नगर (43)
  कस्तूरबा नगर (42)

पीएम-उदय योजना दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को स्वामित्व/ हस्तांतरण/ बंधक के अधिकारों को मान्यता देती है और/या प्रदान करती है। इसका उद्देश्य अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों के स्वामित्व/ बंधक/ हस्तांतरण अधिकारों की कमी के मुद्दों और परिणामी लाभों को पूरा करना है, जो दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को ऐसे अधिकार प्रदान करने पर विकास और पुनर्विकास के रूप में प्राप्त होंगे, जो रहने योग्य आवास के लिए अग्रणी होंगे।

संपत्ति के अधिकार प्रदान करने से अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को निम्नलिखित की अनुमति होगी:

क. निवासी बिना किसी बाधा के अपनी संपत्तियों की बिक्री/खरीद कर सकते हैं।

ख. निवासी अपनी संपत्तियों के बदले बैंकों/ वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त कर सकते हैं ।

ग. निवासी बिल्डिंग प्लान का अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं।

इसके अलावा, अधिकार प्रदान करने से पुनर्विकास की बड़ी संभावना खुली है। डीडीए इन कॉलोनियों में अपेक्षाकृत अधिक तल क्षेत्र अनुपात (एफएआर) के संदर्भ में बढ़ावा देगा और विकास नियंत्रण मानदंडों में छूट देगा ताकि अधिक चौड़ी सड़कों, हरित क्षेत्रों, पार्कों आदि जैसे सार्वजनिक स्थानों, पर्याप्त बुनियादी ढांचे जैसे पानी, सीवर, स्वच्छता आदि, सामाजिक सुविधाएं जैसे स्कूल, अस्पताल, मनोरंजन आदि के साथ नया विकास हो सके । इससे नागरिकों के जीवन सुगम होगा और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

इसलिए, अधिकार प्रदान करने से अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को केवल नाम मात्र के नियमितीकरण की तुलना में कहीं अधिक लाभ होगा।